चाहत  : ब्लड मनी



चाहत  

मैं तो बस तेरी  चाहत  में
चाहूं  रहना  सदा
मैं  तो  बस  तेरी  कुर्बत  में
चाहूं  रहना  सदा
साया  भी  तेरा  मैं  होने  ना  दूं  जुदा
मैंने  तय  कर  लिया

तेरे  इश्क  पे , तेरे  वक़्त  पे
बस  हक  है  इक  मेरा
तेरी  रूह  पे , तेरे  जिस्म  पे
बस  हक  है  इक  मेरा
बस  हक  है  इक  मेरा
बस  हक  है  इक  मेरा

यादों  में  तुझको  रखूं
बातें  भी  तेरी  करून
इतना  दीवाना  हूँ  तेरा
हो  हो  रातों  में जागा  करून
दिन  भर  भटकता  रहूँ
मैं  तो  यहाँ  से  बस  वहाँ

तेरे  इश्क  पे , तेरे  वक़्त  पे
बस  हक  है  इक  मेरा
तेरी  रूह  पे , तेरे  जिस्म  पे
बस  हक  है  इक  मेरा 
बस  हक  है  इक  मेरा  
बस  हक  है  इक  मेरा  

मैं  तो  बस  तेरी  चाहत  में
चाहूं  रहना  सदा
मैं  तो  बस  तेरी  कुर्बत  में
चाहूं  रहना  सदा
साया  भी  तेरा  मैं  होने  ना  दूं  जुदा
मैंने  तय  कर  लिया 



दिल मेरा ... मुफ्त का : एजेंट विनोद




फेंके  नज़र  के  सिक्के  उसने 
बिक  गयी  हूँ  मैं 
उसने  जो  छू  लिया  तो 
लगे  के  नयी  हूँ  मैं 

यूँ  तो  प्रेमी  पचत्तर  हमारे 
लेजा  तू  कर  सतत्तर  इशारे 
दिल  मेरा ... मुफ्त  का 
खाम्क्खा  ही  तरसते  बिचारे 
लेजा  तू  कर  सतत्तर  इशारे 
दिल  मेरा ... मुफ्त  का 

है  नैय्यो  सोनेया  तेरे  बिन  गुज़ारा  (2 x)

दिल  के  दुकानदार  है  दुसरे  भी 
हम  थोडा  अछे  हैं , वो  है  फरेबी 
नि  में  कमली  कमली  
नि  में  कमली  कम.....
हां  दिल  के  दुकानदार  है  दुसरे  भी 
हम  थोडा  अछे  हैं , वो है  फरेबी 
महंगा  है  दिल , सबके  बस  का  नहीं  ये 
बिकना  है  पर  तेरी  खातिर  मुझे  भी 
आज  बाज़ार  ही  बिक  गया  रे 
लेजा  तू  कर  सतत्तर  इशारे 
दिल  मेरा ... मुफ्त  का 

हो  यूँ  तो  प्रेमी  पचत्तर  हमारे 
लेजा  तू  कर  सतत्तर  इशारे 
दिल  मेरा ... मुफ्त  का 

है  नैय्यो  सोनेया  तेरे  बिन  गुज़ारा  (2 x ) 

I'll do the talking : Agent Vinod



Yeah.. from the old school to the new school

We keep it clean
We doin' it now
From India to Russia

Let it go..

I'll do the talking tonight
तू  चीनी  इश्क  दी  चख  ले  ज़रा 
I'll do the talking tonight
तू  रूसी   गोरियाँ  नु  तक  ले  ज़रा 

जो  होना  होना  होना  था  हो  चूका  है  वोह 
गुज़रा  वोह  कल  है  तेरा 
है  तेरे  तेरे  तेरे  जो  सामने  अभी 
बस  येही  पल  है  तेरा 

Steal the night इन  होठो  पे  सजा  ले 
बैठा  क्यूँ  तनहा 
Feel the vibe and जश्न  मना  ले 
जी  ले  हर  लम्हा 
ना ना  ना ... 
कश  मार  के  उड़ा  दे  ज़िन्दगी  का  सारा  ग़म 
ना ना  ना ... 
जी  ले  हक  से  भुला  दे  सारे  रहम -ओ -करम 
ना ना  ना ...  .

नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा : जब वी मेट


हो ओये हाये ओये
रंग पुरेदी रंग रंगीली
लड़की छैल छबीली
उसदे चंचल नैन कटार
अरे चंचल नैन कटार ते उसदा
रूप बना हथियार
उसके रूप से कतल हुए तो
चर्चा शुरू हुआ
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा

ओ
रंग पुरेदी रंग रंगीली
छैल छबीली नार
चंचल नैन कटार दी
उसदा रूप तेज़ तलवार
उसके रूप से कतल हुए तो
चर्चा शुरू हुआ
हे....
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा
होऐ.....

हे हे हे
जब भी वो लड़की, खिड़की पे आये
कोई उसको देख मरे
कोई बिन देखे मर जाये
अरे गुजरे गली मोहल्ले से
तो मेला सा लग जाता था
हर एक आशिक ईद मनाता
भंगड़ा गाता था
खतम ना होता दीवानों के
जलसे शुरू हुआ
हे....
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा

अरे बचपन से उसका
एक दीवाना था
जिसका काम गली के आशिक परे हटाना था
दिल से जिसको मान रहा था
अपने दिल की रानी वो
और किसी पे ही यारों मरती थी मरजानी वो
एक कहानी खतम तो दूजा किस्सा शुरू हुआ
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा

ओ......
रंग पुरेदी रंग रंगीली
छैल छबीली नार
चंचल नैन कटार ते
उसका रूप तेज तलवार
उसके रूप से कतल हुए तो
चर्चा शुरू हुआ
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा
नगाड़ा नगाड़ा नगाड़ा बजा - 4
होऐ.....

आओगे जब तुम ओ साजना : जब वी मेट


आओगे जब तुम ओ साजना - 2
अंगना फूल खिलेंगे, बरसेगा सावन,
बरसेगा सावन झूम झूमके, दो दिल ऐसे मिलेंगे
आओगे जब तुम ओ साजना, अंगना फूल खिलेंगे

नैना तेरे कजरारे है, नैनो पे हम दिल हारे है
अंजाने ही तेरे नैनो ने वादे किये कयी सारे है
सांसो की लय मद्धम चलें, तोसे गये बरसेगा सावन
बरसेगा सावन झूम झूमके, दो दिल ऐसे मिलेंगे
आओगे जब तुम ओ साजना, अंगना फूल खिलेंगे

चंदा को ताकू रातों को, है ज़िन्दगी तेरे हाथों में
पलकों पे झिलमिल तारें हैं, आना बरी बरसातों में
सपनों का जहाँ होगा केला केला बरसेगा सावन
बरसेगा सावन झूम झूमके, दो दिल ऐसे मिलेंगे
.
.
अंगना फूल खिलेंगे - 2 

हम जो चलने लगे :जब वी मेट


हम जो चलने लगे
चलने लगे हैं ये रास्ते
हाँ...हाँ...
मंजिल से बेहतर लगने लगे हैं ये रास्ते]2

आओ खो जाये हम
हो जाये हम यूँ लापता
आओ मिलो चलें
जहा कहाँ ना हो पता

हम जो चलने लगे
चलने लगे हैं ये रास्ते
हाँ...हाँ...
मंजिल से बेहतर लगने लगे हैं ये रास्ते

[बैठे बैठे ऐसे कैसे कोई
रास्ता नया सा मिले
तू भी चले मैं भी चलूँ
होंगे कम ये तभी फासले]2

आओ तेरा मेरा ना हो किसी से वास्ता
आओ मिलो चले
जाना कहाँ ना हो पता

हम जो चलने लगे
चलने लगे हैं ये रास्ते
हाँ...हाँ...
मंजिल से बेहतर लगने लगे हैं ये रास्ते

[आँखें खोले नींदें बोले जाने
कैसे जगी बेखुदी
यहाँ वहाँ देखो कहाँ
लेके जाने लगी बेखुदी]2

आओ मिल जाये ना हो जहाँ पे रास्ता
आओ मिलो चलें
जाना कहाँ ना हो पता

हम जो चलने लगे
चलने लगे हैं ये रास्ते
हाँ...हाँ...
मंजिल से बेहतर लगने लगे हैं ये रास्ते

कल चौदहवीं की रात थी : खामोशी (By जगजीत सिंह)

कल चौदहवीं की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
कुछ ने कहा ये चाँद है
कुछ ने कहा, चेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी

हम भी वहीँ, मौजूद थे
हम से भी सब पुछा किए
हम हंस दिए, हम चुप रहे
मंज़ूर था परदा तेरा

इस शहर में किस्से मिलें
हम से तो छूटी महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले
हर शख्स दीवाना तेरा

कूचे को तेरे छोड़ कर
जोगी ही बन जायें मगर
जंगल तेरे, पर्वत तेरे
बस्ती तेरी, सेहरा तेरा

बेदर्द सुन्नी हो तो चल
कहता है क्या अच्छी ग़ज़ल
आशिक तेरा, रुसवा तेरा
शायर तेरा, इंशा तेरा

अब मुझे रात दिन तुम्हारा ही ख्याल है : दीवाना (By Sonu Nigam)

अब मुझे रात दिन तुम्हारा ही ख्याल है
क्या कहूँ प्यार में दीवानों जैसा हाल है
दीवानों जैसा हाल है तुम्हारा ही ख्याल है

तुम को देखे बिना चैन मिलता नहीं
दिल पे अब तो कोई ज़ोर चलता नहीं
जादू है कैसा दिल की लगी में
डूब गया हूँ इस बेखुदी में

हर पल ढूंढे नज़र तुम को ही जानेमन
हद से बढ़ने लगा मेरा दीवानापन
दिल में बसा लूँ अपना बना लूँ
या फिर नज़र में तुमको छुपा लूँ

उड़ मटक कली मटक कली : Delhi - 6

ऐ मसाकली मसाकली
उड़ मटक कली मटक कली

ज़रा पंख झटक गई
धूल अटक और लचक मचक के दूर भटक
उड़ डगर-डगर कसबे कुचे नुक्कड़ बस्ती
में ये ये ये
इतड़ी से मुड़ अदा से उड़
कर ले पूरी दिल की तमन्ना
हवा से जुड़ अदा से उड़
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
तू है हिरा पन्ना रे

घर तेरा सलोनी
बादल की कॉलोनी
दिखला दे ठेंगा इन सबको जो उड़ना ना जाने
उड़ियो ना डरियो
कर मनमानी मनमानी मनमानी
बढ़ियो ना मुड़ियो कर नादानी
तन तान ले मुस्कान ले
कह सना नाना नाना हवा
बस ठान ले तू जान ले
कह सना नाना न न न हवा

तुझे क्या गम तेरा रिश्ता
गगन की बांसुरी से है
पवन की गुफ्तगू से है
सूरज की रोशनी से है
उड़ियो ना डरियो
कर मनमानी मनमानी मनमानी
बढ़ियो ना मुड़ियो कर नादानी
तन तान ले मुस्कान ले
कह सना नाना नाना हवा
बस ठान ले तू जान ले
कह सना नाना न न न हवा

और आहिस्ता कीजिये बातें : जश्न (2006)

और आहिस्ता कीजिये बातें, धड़कने कोई सुन रहा होगा
लफ्ज़ गिरने ना पाए होठों से, वक़्त के हाथ इनको चुन लेंगे
कान रखते हैं ये दरो-दीवार, राज़ की सारी बात सुन लेंगे

ऐसे बोलो की दिल का अफसाना, दिल सुने और निगाह दोहराए
अपने चारों तरफ की ये दुनिया, सांस का शोर भी
ना सुन पाए, ना सुन पाए

आइये बंद करलें दरवाजे, रात सपने चुरा ना ले जाए
कोई झोंका हवा का आवारा, दिल ही की बातों को उड़ा
ना ले जाये, ना ले जाये

आज इतने करीब आ जाओ, दूरियों का कहीं निशां ना रहे
ऐसे एक दूसरे में गुम हो जाएँ, फासला कोई दरमियान
ना रह जाये, ना रह जाये

पहली बार मोहब्बत की है : कमीने (2009)

थोड़े भीगे भीगे से थोड़े नम है हम
कल से सोये वोए भी तो कम है हम
दिल ने कैसी हरक़त की है
पहली बार मोहब्बत की है
आखिरी बार मोहब्बत की है

आँखें डूबी-डूबी सी सुरमई मद्धम
झीलें पानी-पानी है बस तुम और हम
बात बड़ी हैरत की है
पहली बार...

ख्वाब के बोझ से कंप-कंपाती हुई
हलकी पलकें तेरी याद आता है सब
तुझे गुदगुदाना सताना यूँ ही सोते हुए
गाल पे टीपना मीचना बेवजह बेसबब
याद है
पीपल के जिसके घने साए थे
हमनें गिलहरी के जूठे मटर खाए थे
ये बरक़त उन हज़रत की है
पहली बार...

आजा आजा दिल निचोडें : कमीने (2009)

आजा आजा दिल निचोडें
रात की मटकी तोड़ें
कोई गुड लक निकालें
आज गुल्लक तो फोड़ें

है दिल-दिल दारा
मेरा तेली का तेल
कौड़ी-कौड़ी पैसा पैसा
पैसे का खेल
चल चल सड़कों पे होगी
ठैन-ठैन
ढैन-टेणां
टेणां टेणां

आजा की वन वे है ये ज़िन्दगी की गली एक ही चांस है
आगे हवा ही हवा है अगर सांस है तो ये रोमांस है
यही कहते हैं, यही सुनते हैं
जो भी जाता है जाता है वो फिर से आता नहीं
आजा आजा कल निचोड़े..

कोई चाल ऐसी चलो यार, अब के समंदर भी पुल पे चले
फिर तू चले उसपे, या मैं चलूँ, शहर हो अपने पैरों तले
कहीं खबरें हैं, कहीं खबरें हैं
जो भी सोये है कब्रों में..उनको जगाना नहीं..
आजा आजा दिल निचोड़े..

हमको हमीसे चुरा लो : मोहब्बतें (2000)

हमको हमीसे चुरा लो,
दिल में कहीं तुम छुपा लो.
हम अकेले, खो न जाएँ,
दूर तुमसे, हो न जाएँ,
पास आओ गले से लगा लो

ये दिल धड़का दो, जुल्फें बिखरा दो,
शर्मा के अपना आँचल लहरा दो.
हम जुल्फें तो बिखरा दें, दिन में रात न हो जाए,
हम आँचल तो लहरा दें, पर बरसात न हो जाए
होने दो बरसातें, करनी हैं कुछ बातें.
पास आओ गले से लगा लो.
हमको...

तुमपे मरते हैं, हम मर जायेंगे,
ये सब कहते हैं, हम कर जायेंगे.
चुटकी भर सिन्दूर से तुम अब ये मांग ज़रा भर दो,
कल क्या हो किसने देखा सब कुछ आज अभी कर दो.
हो न हो सब राज़ी, दिल राज़ी रब राज़ी
पास आओ गले से लगा लो.
हमको...

ब्रेथलेस : (शंकर महादेवन)

कोई जो मिला तो मुझे ऐसा लगता था
जैसे मेरी सारी दुनिया मैं गीतों की रुत
और रंगों की बरखा है
खुशबु की आंधी है
महकी हुई सी अब सारी फिजायें हैं
बहकी हुई सी अब सारी हवाएं हैं
खोयी हुई सी अब सारी दिशाएँ हैं
बदली हुई सी अब सारी अदाएं हैं
जागी उमंगें हैं
धड़क रहा है दिल
साँसों में तूफ़ान हैं, होठों पे नगमे हैं
आखों में सपने हैं,
सपनों में बीते हुए सारे वो सारे लम्हे हैं

जब कोई आया था, नज़रों पे छाया था
दिल मैं समाया था, कैसे मैं बताऊँ तुम्हें
कैसा उसे पाया था,
प्यारे से चेहरे पे बिखरी जो जुल्फें तो ऐसा लगता था
जैसे कोहरे के पीछे इक ओस मैं धुला हुआ फूल खिला है
जैसे बादल में एक चाँद छुपा है और झाँक रहा है
जैसे रात के परदे में एक सवेरा है रोशन रोशन
आखों में सपनों का सागर
जिसमें प्रेम सितारों की चादर जैसे झलक रही है
लहरों लहरों बात करे तो जैसे मोती बरसे
जैसे कहीं चांदी की पायल गूंजे
जैसे कहीं शीशे के जाम गिरे और छन से टूटे
जैसे कोई छिप के सितार बजाये
जैसे कोई चांदनी रात में गाए
जैसे कोई हौले से पास बुलाये

कैसी मीठी बातें थी वो
कैसी मुलाकातें थी वो
जब मैंने जाना था
नज़रों से कैसे पिघलते हैं दिल
और
आरजू पाती है कैसे मंजिल
और
कैसे उतरता है चाँद जमीन पर
कैसे कभी लगता है स्वर्ग अगर है
तो बस है यहीं पर

उसने बताया मुझे, और समझाया मुझे
हम जो मिले हैं, हमें ऐसे ही मिलना था
गुल जो खिले हैं, उन्हें ऐसे ही खिलना था
जन्मों के बंधन, जन्मों के रिश्ते हैं
जब भी हम जन्मे तो हम यूँ ही मिलते हैं
कानों में मेरे जैसे, शहद से घुलने लगे
ख़्वाबों के दर जैसे आखों मैं खुलने लगे
ख़्वाबों की दुनिया भी कितनी हसीं
और
कैसी रंगीन थी ख़्वाबों की दुनिया
जो कहने को थी पर कहीं भी नहीं थी
ख्वाब जो टूटे मेरे, आँख जो खुली मेरी
होश जो आया मुझे
मैंने देखा मैंने जाना
वो जो कभी आया था, नज़रों पे छाया था
दिल मैं समाया था, जा भी चूका है
और दिल मेरा अब तनहा तनहा
न तो कोई अरमान है, न कोई तमन्ना है
और न कोई सपना है
अब जो मेरे दिन और अब जो मेरी रातें हैं
उनमें सिर्फ आँसू हैं
उनमें सिफ दर्द की रंज की बातें हैं
और फरियादें हैं
मेरा अब कोई नहीं 
मैं हूँ और खोये हुए प्यार की यादें हैं
मैं हूँ और खोये हुए प्यार की यादें हैं
मैं हूँ और खोये हुए प्यार की यादें हैं

पिया मोरा.. मोरा पिया : राजनीति (2010)

पिया मोरा.. मोरा पिया
मानत नाहिं
मोरा पिया मोसे बोलत नाहिं
द्वार जिया के के खोलत नाहिं
मोरा पिया मोसे...

दर्पण देखूं, रूप निहारूं
और सोलह श्रृंगार करूँ
फेर नजरिया बैठा बैरी
कैसे अँखियाँ चार करूं
कोई जतन अब, काम ना आवे
उस कछु सोहत नाहिं
मोरा पिया मोसे...

हमरी इक मुस्कान पे वो तो
अपनी जान लुटाता था
जग बिसरा के आठों पहरिया
मोरे ही गुण गाता था
भा गई का कोई सौतन ओ के
मोरा कुछ भावत नाहिं 
मोरा पिया मोसे...

दिल चाहता है : दिल चाहता है (2001)

दिल चाहता है
कभी ना बीतें चमकीले दिन
दिल चाहता है
हम ना रहें कभी यारों के बिन
दिन-दिन भर हों प्यारी बातें
झूमें शामें गायें रातें
मस्ती में रहे डूबा-डूबा हमेशा समाँ
हमको राहों में यूँ ही मिलती रहें खुशियाँ

जगमगाते हैं, झिलमिलाते हैं अपने रास्ते
ये खुशी रहे रौशनी रहे अपने वास्ते

जहाँ रुकें हम जहाँ भी जाएं
जो हम चाहें वो हम पाएं
मस्ती में रहे...

कैसा अजब ये सफ़र है
सोचो तो हर इक ही बेखबर है
उसको जाना किधर है
जो वक़्त आए, जाने क्या दिखाए
दिल चाहता है...

रंग बिरंगे मौसम आएँ
नए नए वो सपने लाएँ
महकी रहें ख्वाबों की हसीं वादियाँ
खिलते रहें यूँ ही प्यार के ये गुलसिताँ
दिल चाहता है...

फिर से मिलें जो हम दीवाने
तो ये समझें ये तो ये जानें
हम भी रहें यार हमारे जहाँ आए नहीं
कभी हममें कोई दूरियाँ
दिल चाहता है...

बीते लम्हें : द ट्रेन (2007)

दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं 
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं

चन्द लम्हात के वास्ते ही सही 
मुस्कुरा कर मिली थी मुझे ज़िन्दगी
तेरी आगोश में दिन थे मेरे कटे
तेरी बाहों में थी मेरी रातें कटीं 
आज भी जब वो पल मुझको याद आते हैं
दिल से सारे गमों को भुला जाते हैं
दर्द में... 

किस कदर तेज़ रफ़्तार थी ज़िन्दगी 
कहकहे हर तरफ़ थी खुशी ही खुशी
मैंने जिस दिन कही प्यार की बात थी 
रुक गई थी अचानक वो बहती नदी
आज भी जब वो दिन मुझको याद आते हैं 
गुज़रे लम्हें ज़हन में उभर आते हैं 
दर्द में...

मेरे कांधे पे सिर को झुकाना तेरा 
मेरे सीने में खुद को छुपाना तेरा
आके मेरी पनाहों में शाम-ओ-सहर
कांच की तरह वो टूट जाना तेरा
आज भी जब वो मन्ज़र नज़र आते हैं 
दिल की विरानियों को मिटा जाते हैं 
दर्द में...
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