बीते लम्हें : द ट्रेन (2007)

दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं 
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं

चन्द लम्हात के वास्ते ही सही 
मुस्कुरा कर मिली थी मुझे ज़िन्दगी
तेरी आगोश में दिन थे मेरे कटे
तेरी बाहों में थी मेरी रातें कटीं 
आज भी जब वो पल मुझको याद आते हैं
दिल से सारे गमों को भुला जाते हैं
दर्द में... 

किस कदर तेज़ रफ़्तार थी ज़िन्दगी 
कहकहे हर तरफ़ थी खुशी ही खुशी
मैंने जिस दिन कही प्यार की बात थी 
रुक गई थी अचानक वो बहती नदी
आज भी जब वो दिन मुझको याद आते हैं 
गुज़रे लम्हें ज़हन में उभर आते हैं 
दर्द में...

मेरे कांधे पे सिर को झुकाना तेरा 
मेरे सीने में खुद को छुपाना तेरा
आके मेरी पनाहों में शाम-ओ-सहर
कांच की तरह वो टूट जाना तेरा
आज भी जब वो मन्ज़र नज़र आते हैं 
दिल की विरानियों को मिटा जाते हैं 
दर्द में...

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