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नैन से नैनों को मिला - तेरा चेहरा (2002)

नैन से नैनों को मिला
काहे को सताए है आ भी आ
नैन से नैनों को...

देख ना यूँ बेरुख़ी से
आज तो नज़र मिला दे
है क़सम तुझे दीवानी
प्यार का कोई सिला दे
जबसे तेरी आँखें झुकी हैं
तबसे मेरी साँसें रुकी हैं
चोरी-चोरी ख़्वाबों में आ भी जा
नैन से नैनों को...

कह रही है मेरी मोहब्बत
थोड़ा सा क़रार दे-दे
सिर्फ़ ये मेरी है चाहत
चैन मुझको यार दे-दे
हर धड़कन गाने लगी है
बन के नशा छाने लगी है
धीरे-धीरे बाँहों में आ भी जा
नैन से नैनों को...

तुम तो ठहरे परदेसी (1998)

तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
सुबह पहली गाड़ी से, घर को लौट जाओगे
सुबह पहली गाड़ी से...

जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
(खिंचे खिंचे हुए रहते हो, ध्यान किसका है
ज़रा बताओ तो ये इम्तेहान किसका है
हमें भुला दो मगर ये तो याद ही होगा
नई सड़क पे पुराना मकान किसका है)
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
आँसुओं की बारिश में तुम भी भीग जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

ग़म की धूप में दिल की हसरतें न जल जाएं
(तुझको देखेंगे सितारे तो ज़िया मांगेंगे
और प्यासे तेरी जुल्फों से घटा मांगेंगे
अपने कांधे से दुपट्टा न सरकने देना
वरना बूढ़े भी जवानी की दुआ मांगेंगे (ईमान से))
ग़म की धूप में दिल की हसरतें न जल जाएं
गेसुओं के साए में कब हमें सुलाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
(इस शहर-ए-नामुराद की इज़्ज़त करेगा कौन
अरे हम भी चले गए तो मुहब्बत करेगा कौन
इस घर की देखभाल को वीरानियां तो हों
जाले हटा दिये तो हिफ़ाज़त करेगा कौन)
मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
मेरे बाद तुम किस पर ये बिजलियां गिराओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

यूं तो ज़िंदगी अपनी मैकदे में गुज़री है
(अश्क़ों में हुस्न-ओ-रंग समोता रहा हूँ मैं
आंचल किसी का थाम के रोता रहा हूँ मैं
निखरा है जा के अब कहीं चेहरा शऊर का
बरसों इसे शराब से धोता रहा हूँ मैं)
(बहकी हुई बहार ने पीना सिखा दिया
पीता हूँ इस गरज़ से के जीना है चार दिन
मरने के इंतज़ार ने पीना सीखा दिया)
यूं तो ज़िंदगी अपनी मैकदे में गुज़री है
इन नशीली आँखों से कब हमें पिलाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
जब तुम से इत्तेफ़ाकन मेरी नज़र मिली थी
अब याद आ रहा है, शायद वो जनवरी थी
तुम यूं मिलीं दुबारा, फिर माह-ए-फ़रवरी में
जैसे कि हमसफ़र हो, तुम राह-ए-ज़िंदगी में
कितना हसीं ज़माना, आया था मार्च लेकर
राह-ए-वफ़ा पे थीं तुम, वादों की टॉर्च लेकर
बाँधा जो अहद-ए-उल्फ़त अप्रैल चल रहा था
दुनिया बदल रही थी मौसम बदल रहा था
लेकिन मई जब आई, जलने लगा ज़माना
हर शख्स की ज़ुबां पर, था बस यही फ़साना
दुनिया के डर से तुमने, बदली थीं जब निगाहें
था जून का महीना, लब पे थीं गर्म आहें
जुलाई में जो तुमने, की बातचीत कुछ कम
थे आसमां पे बादल, और मेरी आँखें पुरनम
माह\-ए\-अगस्त में जब, बरसात हो रही थी
बस आँसुओं की बारिश, दिन रात हो रही थी
कुछ याद आ रहा है, वो माह था सितम्बर
भेजा था तुमने मुझको, तर्क़-ए-वफ़ा का लेटर
तुम गैर हो रही थीं, अक्टूबर आ गया था
दुनिया बदल चुकी थी, मौसम बदल चुका था
जब आ गया नवम्बर, ऐसी भी रात आई
मुझसे तुम्हें छुड़ाने, सजकर बारात आई
बेक़ैफ़ था दिसम्बर, जज़्बात मर चुके थे
मौसम था सर्द उसमें, अरमां बिखर चुके थे
लेकिन ये क्या बताऊं, अब हाल दूसरा है
अरे वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है
क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
थोड़ी देर रो लोगे और भूल जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

कभी ऐसा लगता है, दिल में एक राज़ है : कभी ऐसा लगता है (2004)

कभी ऐसा लगता है, दिल में एक राज़ है
जिसे कहना चाहूँ, पर मैं कह पाऊँ ना
आँखों ही आँखों में कह जाती है जो ये
खामोशियों की ये कैसी ज़ुबां
मैंने सुना जो ना उसने कहा
क्या ऐसा ही होता है प्यार
मेरे खुदा मुझे इतना बता
क्या ऐसा ही होता है प्यार

कभी ऐसा लगता है, अनजानी प्यास है
पर सिमटी होठों में वो रह पाए ना
कैसा एहसास है, कोई तो पास है
ये दूरियां हैं फिर कैसी यहाँ
महकी लगे क्यों सारी फिज़ा
क्या ऐसा ही होता है...

ये सच है चाहत पे कभी, किसी का भी ज़ोर नहीं
दिलबर की यादों को बांधे, ऐसी कोई डोर नहीं
सब कुछ वही पर लगता नहीं
क्या ऐसा ही होता है...

इक पल जो मिल जाए दिल को, चला जाए दूर कहीं
दुनिया में इस दिल के जैसा, कोई मजबूर नहीं
मैंने सुना प्यार करता जहां
प्यार ऐसा भी होता है...

जाने क्या ढूँढता है ये मेरा दिल : अक्स

जाने क्या ढूँढता है ये मेरा दिल
तुझको क्या चाहिए ज़िन्दगी
रास्ते ही रास्ते हैं, कैसा है ये सफ़र
ढूँढती हैं जिसको नज़रें, जाने है वो किधर
जाने क्या ढूँढता है...

बेचेहरा सा कोई, सपना है वो
कहीं नहीं है फिर भी, अपना है वो
ऐसे मेरे अन्दर शामिल है वो
मैं हूँ बहता दरिया, साहिल है वो
है कहाँ वो, वो किधर है, रास्ते कुछ तो बता
कौन सा उसका नगर है, रहगुज़र कुछ तो बता
ढूँढती हैं जिसको नज़रें, जाने है वो किधर
जाने क्या ढूँढता है...

सूना सा है मंदिर, मूरत नहीं
खाली है आईना, सूरत नहीं
जीने का जीवन में, कारण तो हो
महके कैसे कलियाँ, गुलशन तो हो
शम्मा है जो मुझमें रौशन, वो विरासत किसको दूं
दूर तक कोई नहीं है, अपनी चाहत किसको दूं
ढूँढती हैं जिसको नज़रें, जाने है वो किधर
जाने क्या ढूँढता है...

गोरी तेरी आँखें कहें, रात भर सोयी नहीं : गोरी तेरी आँखें

गोरी तेरी आँखें कहें, रात भर सोयी नहीं
चंदा देखे चुपके कहीं, और तारे जानते हैं सभी
के किसने दिल ले लिया, किसको दिल दे दिया
ये दिल का लगाना कोई जानता नहीं
गोरी तेरी आँखें...

दिल में तेरी याद बसी तू समझेगा नहीं
जो है मेरे पास है तेरा, मेरा कुछ नहीं
क्यूँ अंखियाँ छुपाऊँ, क्यूँ तुझको सताऊँ
दिल तोड़ के तेरा मैं क्या पाऊं
बोल पिया बोल पिया बोल...

साजन तेरी बातें बड़ी, के मैं रात भर सोयी नहीं
चंदा ने भी देखा नहीं, और तारों को ये मालूम नहीं
कि मैंने तुझे दिल दिया, तेरा दिल ले लिया
मेरा तू ही है बहाना, क्यूँ मानता नहीं
साजन तेरी बातें बड़ी...

आते जाते मौसम जैसे लगते थे सभी
हमने भी तो माँगा रब से अपना भी कोई
दुनिया से बचाऊँ, पलकों में छुपाऊं
दिल जीत के तेरा सबको बताऊँ
सुन गोरी...
गोरी तेरी आँखें...

शाम सवेरे तेरी यादें आती हैं : सुनो (1996)

शाम सवेरे तेरी यादें आती हैं
आके दिल को मेरे यूँ तड़पाती हैं
ओ सनम मोहब्बत की कसम
मिलके बिछड़ना तो दस्तूर हो गया
यादों में तेरी मैं जो दूर हो गया
ओ सनम तेरी यादों की कसम

समझे ज़माना के दिल है खिलौना
जाना है अब क्या है दिल का लगाना
नज़रों से ना यूँ हमको गिराना
मर भी गए तो भूल न जाना
आँखों में बसी हो पर दूर हो कहीं
दिल के करीब हो ये मुझको है यकीं
ओ सनम तेरे प्यार की कसम

कल चौदहवीं की रात थी : खामोशी (By जगजीत सिंह)

कल चौदहवीं की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
कुछ ने कहा ये चाँद है
कुछ ने कहा, चेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी

हम भी वहीँ, मौजूद थे
हम से भी सब पुछा किए
हम हंस दिए, हम चुप रहे
मंज़ूर था परदा तेरा

इस शहर में किस्से मिलें
हम से तो छूटी महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले
हर शख्स दीवाना तेरा

कूचे को तेरे छोड़ कर
जोगी ही बन जायें मगर
जंगल तेरे, पर्वत तेरे
बस्ती तेरी, सेहरा तेरा

बेदर्द सुन्नी हो तो चल
कहता है क्या अच्छी ग़ज़ल
आशिक तेरा, रुसवा तेरा
शायर तेरा, इंशा तेरा

अब मुझे रात दिन तुम्हारा ही ख्याल है : दीवाना (By Sonu Nigam)

अब मुझे रात दिन तुम्हारा ही ख्याल है
क्या कहूँ प्यार में दीवानों जैसा हाल है
दीवानों जैसा हाल है तुम्हारा ही ख्याल है

तुम को देखे बिना चैन मिलता नहीं
दिल पे अब तो कोई ज़ोर चलता नहीं
जादू है कैसा दिल की लगी में
डूब गया हूँ इस बेखुदी में

हर पल ढूंढे नज़र तुम को ही जानेमन
हद से बढ़ने लगा मेरा दीवानापन
दिल में बसा लूँ अपना बना लूँ
या फिर नज़र में तुमको छुपा लूँ

और आहिस्ता कीजिये बातें : जश्न (2006)

और आहिस्ता कीजिये बातें, धड़कने कोई सुन रहा होगा
लफ्ज़ गिरने ना पाए होठों से, वक़्त के हाथ इनको चुन लेंगे
कान रखते हैं ये दरो-दीवार, राज़ की सारी बात सुन लेंगे

ऐसे बोलो की दिल का अफसाना, दिल सुने और निगाह दोहराए
अपने चारों तरफ की ये दुनिया, सांस का शोर भी
ना सुन पाए, ना सुन पाए

आइये बंद करलें दरवाजे, रात सपने चुरा ना ले जाए
कोई झोंका हवा का आवारा, दिल ही की बातों को उड़ा
ना ले जाये, ना ले जाये

आज इतने करीब आ जाओ, दूरियों का कहीं निशां ना रहे
ऐसे एक दूसरे में गुम हो जाएँ, फासला कोई दरमियान
ना रह जाये, ना रह जाये

ब्रेथलेस : (शंकर महादेवन)

कोई जो मिला तो मुझे ऐसा लगता था
जैसे मेरी सारी दुनिया मैं गीतों की रुत
और रंगों की बरखा है
खुशबु की आंधी है
महकी हुई सी अब सारी फिजायें हैं
बहकी हुई सी अब सारी हवाएं हैं
खोयी हुई सी अब सारी दिशाएँ हैं
बदली हुई सी अब सारी अदाएं हैं
जागी उमंगें हैं
धड़क रहा है दिल
साँसों में तूफ़ान हैं, होठों पे नगमे हैं
आखों में सपने हैं,
सपनों में बीते हुए सारे वो सारे लम्हे हैं

जब कोई आया था, नज़रों पे छाया था
दिल मैं समाया था, कैसे मैं बताऊँ तुम्हें
कैसा उसे पाया था,
प्यारे से चेहरे पे बिखरी जो जुल्फें तो ऐसा लगता था
जैसे कोहरे के पीछे इक ओस मैं धुला हुआ फूल खिला है
जैसे बादल में एक चाँद छुपा है और झाँक रहा है
जैसे रात के परदे में एक सवेरा है रोशन रोशन
आखों में सपनों का सागर
जिसमें प्रेम सितारों की चादर जैसे झलक रही है
लहरों लहरों बात करे तो जैसे मोती बरसे
जैसे कहीं चांदी की पायल गूंजे
जैसे कहीं शीशे के जाम गिरे और छन से टूटे
जैसे कोई छिप के सितार बजाये
जैसे कोई चांदनी रात में गाए
जैसे कोई हौले से पास बुलाये

कैसी मीठी बातें थी वो
कैसी मुलाकातें थी वो
जब मैंने जाना था
नज़रों से कैसे पिघलते हैं दिल
और
आरजू पाती है कैसे मंजिल
और
कैसे उतरता है चाँद जमीन पर
कैसे कभी लगता है स्वर्ग अगर है
तो बस है यहीं पर

उसने बताया मुझे, और समझाया मुझे
हम जो मिले हैं, हमें ऐसे ही मिलना था
गुल जो खिले हैं, उन्हें ऐसे ही खिलना था
जन्मों के बंधन, जन्मों के रिश्ते हैं
जब भी हम जन्मे तो हम यूँ ही मिलते हैं
कानों में मेरे जैसे, शहद से घुलने लगे
ख़्वाबों के दर जैसे आखों मैं खुलने लगे
ख़्वाबों की दुनिया भी कितनी हसीं
और
कैसी रंगीन थी ख़्वाबों की दुनिया
जो कहने को थी पर कहीं भी नहीं थी
ख्वाब जो टूटे मेरे, आँख जो खुली मेरी
होश जो आया मुझे
मैंने देखा मैंने जाना
वो जो कभी आया था, नज़रों पे छाया था
दिल मैं समाया था, जा भी चूका है
और दिल मेरा अब तनहा तनहा
न तो कोई अरमान है, न कोई तमन्ना है
और न कोई सपना है
अब जो मेरे दिन और अब जो मेरी रातें हैं
उनमें सिर्फ आँसू हैं
उनमें सिफ दर्द की रंज की बातें हैं
और फरियादें हैं
मेरा अब कोई नहीं 
मैं हूँ और खोये हुए प्यार की यादें हैं
मैं हूँ और खोये हुए प्यार की यादें हैं
मैं हूँ और खोये हुए प्यार की यादें हैं

तेरी दीवानी : कैलासा (2006)

प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी
हो गई मैं मतवारी
बल-बल जाऊं अपने पिया को
हे मैं जाऊं वारी-वारी
मोहे सुध बुध ना रही तन मन की
ये तो जाने दुनिया सारी
बेबस और लाचार फिरूं मैं
हारी मैं दिल हारी
हारी मैं दिल हारी

तेरे नाम से जी लूं
तेरे नाम से मर जाऊं
तेरी जान के सदके में कुछ ऐसा कर जाऊं
तूने क्या कर डाला, मर गयी मैं, मिट गयी मैं
हो जी हाँ जी
हो गयी मैं
तेरी दीवानी

इश्क जुनूं जब हद से बढ़ जाए
हंसते-हंसते आशिक सूली चढ़ जाए
इश्क का जादू सर चढ़कर बोले
खूब लगा लो पहरे रस्ते रब खोले
यही इश्क दी मर्ज़ी हैं
यही रब दी मर्ज़ी हैं
तेरे बिन जीना कैसा
हाँ खुदगर्जी है
तूने क्या...

हे मैं रंग रंगीली दीवानी
हे मैं अलबेली मैं मस्तानी
गाऊं, बजाऊं, सबको रिझाऊं
हे मैं दींन धर्म से बेगानी
हे मैं दीवानी, मैं दीवानी
तेरे नाम से...

पिया बसंती रे : पिया बसंती (2001)

पिया बसंती रे
काहे सताए आजा
जाने क्या जादू किया
प्यार की धुन छेड़े जिया
काहे...

बादल ने अंगड़ाई ली जो कभी, लहराया धरती का आँचल
ये पत्ता-पत्ता, ये बूटा-बूटा, छेड़े है कैसी ये हलचल
मनवा ये डोले, जाने क्या बोले
मानेगा ना मेरा जिया
तेरे है हम तेरे पिया
काहे सताए...

पलकों के सिरहाने बैठे, ख्वाब वही जो आने वाले
दिल की गिरहा-गिरहा खोले, मन में प्यार जगाने वाले
सतरंगी सपने बोले रे
काहे सताए...

डूबा डूबा रहता हूँ आँखों में तेरी : बूँदें (1998)

डूबा डूबा रहता हूँ आँखों में तेरी
दीवाना बन गया हूँ मैं चाहत में तेरी
अब दिन गुज़रते नहीं
रातें कटती नहीं
तेरी तस्वीर से
बात बनती नहीं
तू आजा

कोई जाने ना, पहचाने ना, ये हुआ कैसे
तुम आ गए ख्वाबों में ऐसे
बेवफा, ना जा बेवफा, बेवफा ना जाना
डूबा डूबा रहता हूँ...

तुम जो मिल गए, दीये जल गए, मेरे ख्वाबों में
बन जाओ तुम मेरे हमसफ़र
बेवफा, ना जा बेवफा, बेवफा ना जाना
डूबा डूबा रहता हूँ...

भीगी भीगी रातों में फिर तुम आओ ना : कभी तो नज़र मिलाओ

भीगी भीगी रातों में फिर तुम आओ ना 
ऐसी बरसातों में आओ ना 

धडकनों में आ गया है 
एक नगमा तेरे प्यार का 
जैसे कोई सुर मिला हो 
दिल के तार से दिल के तार का 
पल की हंसी में 
यूँ ही दिल्लगी में यह दिल गया 
हमें क्या मिला है 
तुम्हें तो मेरा दिल भी मिल गया 
लेके प्यार आँखों में आओ ना 
भीगी भीगी... 

आ रही है तेरी यादें 
दिल मेरा फिर बेक़रार है 
तुम मिलोगी, हाँ मिलोगी 
दिल को मेरे ऐतबार है 
खुली है यह बाहें 
देखे यह निगाहें रास्ता तेरा 
ज़रा मुस्कुरा के फिर से दिखा दे वो ही अदा 
या तो मेरी यादों में आओ ना 
भीगी भीगी...

पुराणी जींस और गिटार

पुरानी jeans और guitar
मोहल्ले कि वो छत और मेरे यार
वो रातों को जागना
सुबह घर जाना कूद के दिवार
वो सिगरेट पीना गली में जा के
वो करना दातों को घड़ी घड़ी साफ

पहुंचना कोलेज़ हमेशा लेट
वो कहना सर का "Get out from the class"
वो बाहर जा के हमेशा कहना
यहां का सिस्टम ही है खराब
वो जा के कैन्टीन में टेबल बजा के
वो गाने गाना यारों के साथ

बस यादें यादें यादें रह जाती हैं
कुछ छोटी छोटी बातें रह जाती हैं
बस यादेंऽऽऽऽ ऽऽऽऽ  ऽऽऽऽ  ऽऽऽऽ  ऽऽऽऽ  ऽऽऽऽ

वो पापा का डांटना
वो कहना मम्मी का
छोड़ें जी आप
तुम्हें तो बस नज़र आता है
जहां में बेटा
मेरा ही खराब
वो दिल में सोचना
कर के कुछ दिखा दें
वो करना प्लानिंग
रोज़ नई यार

लडक्‍कपन का वो पहला प्यार
वो लिखना हाथों पर A + R
वो खिड़की से झांकना
वो लिखना लैटर उन्हें बार बार
वो देना तोह्फे में सोने की बालियां
वो लेना दोस्तों से पैसे उधार

बस यादें यादें यादें रह जाती हैं
कुछ छोटी छोटी बातें रह जाती हैं
बस यादेंऽऽऽऽ ऽऽऽऽ  ऽऽऽऽ  ऽऽऽऽ


एसा यादों का मौसम चला
भूलता ही नहीं दिल मेरा
कहां मेरी jeans और guitar
मोहल्ले कि वो छत और मेरे यार
वो रातों को जागना
सुबह घर जाना कूद के दिवार

तन्हा दिल तन्हा सफ़र

आँखों में सपने लिए घर से हम चल तो दिए
जानें ये राहें अब ले जाएंगी कहां
मिट्टी की खुश्बू आए पलकों पे आँसू लाए
पलकों पे रह जाएगा यादों का जहाँ
मंज़िल नई है अनजाना है कारवाँ
चलना अकेले है यहाँ
तन्हा दिल तन्हा सफ़र ढूंढे तुझे फिर क्यूं नज़र
तन्हा दिल तन्हा सफ़र ...
दिलकश नज़ारे देखे झिलमिल सितारे देखे
आँखों में फिर भी तेरा चेहरा है जवां
कितनी बरसातें आईं कितनी सौगातें लाईं
कानों में फिर भी गूंजे तेरी ही सदा
वादे किए थे अपना होगा आशियाँ
वादों का जाने होगा क्या
तन्हा दिल तन्हा सफ़र ...


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