सांस में तेरी सांस मिली तो - जब तक है जान (2012)

सांस में तेरी सांस मिली तो
मुझे सांस आई
रूह ने छू ली जिस्म की खुश्बू
तू जो पास आई

कब तक होश संभाले कोई
होश उड़े तो उड़ जाने दो
दिल कब सीधी राह चला है
राह मुड़े तो मुड़ जाने दो
तेरे ख़याल में डूबके अक्सर
अच्छी लगी तन्हाई
सांस में तेरी...

रात तेरी बाँहों में कटे तो
सुबह बड़ी हलकी लगती है
आँख में रहने लगे हो क्या तुम
क्यूँ छलकी-छलकी लगती है
मुझको फिर से छू के बोलो
मेरी कसम क्या खाई
सांस में तेरी...

हीर हीर ना आँखों अड़ियो -जब तक है जान (2012)

हीर हीर ना आँखों अड़ियो
मैं ते साहेबा होई
घोड़ी ले के आवे लै जाए
हो मैनू लै जाए मिर्ज़ा कोई

ओहदे जे ही मैं, ते ओह मेरे वरगा
हंसदा-ए सजर-सवेरे वरगा
अन्खां बंद कर लै ते
ठन्डे हनेरे वरगा
ओहदे जे ही मैं, ते ओह मेरे मिर्ज़ा वरगा
हीर हीर ना...

नाल नाल टुर ना ते विथ रखणा
हद रख लेणा विच दिल रखणा
छाँवे-छाँवे पावे असी तेरी
पर छाँवे टुर ना
ओहदे जे ही मैं ते ओ मिर्ज़ा मेरे वरगा
हीर हीर ना...

जिया, जिया रे जिया रे - जब तक है जान (2012)

चली रे, चली रे
जुनूं को लिए
कतरा, कतरा
लम्हों को पीये
पिंजरे से उड़ा
दिल का शिकरा
खुदी से मैंने इश्क किया रे
जिया, जिया रे जिया रे

छोटे-छोटे लम्हों को
तितली जैसे पकड़ो तो
हाथों में रंग रह जाता है
पंखों से जब छोडो तो
वक़्त चलता है
वक़्त का मगर रंग
उतरता है अक्किरा
उड़ते-उड़ते फिर एक लम्हा
मैंने पकड़ लिया रे
जिया जिया रे जिया रे...

हलके-हलके पर्दों में
मुस्कुराना अच्छा लगता है
रौशनी जो देता हो तो
दिल जलाना अच्छा लगता है
एक पल सही, उम्र भर इसे
साथ रखना अक्किरा
ज़िन्दगी से फिर एक वादा
मैंने कर लिया रे
जिया जिया रे जिया रे...

तेरे लिए - वीर ज़ारा (2004)

तेरे लिए, हम हैं जिये, होठों को सीये
तेरे लिए, हम हैं जिये, हर आँसू पिये
दिल में मगर, जलते रहे, चाहत के दीये
तेरे लिए, तेरे लिए

ज़िंदगी, ले के आई है
बीते दिनों की किताब
घेरे हैं, अब हमें
यादें बे-हिसाब
बिन पूछे, मिले मुझे
कितने सारे जवाब
चाहा था क्या, पाया है क्या
हमने देखिए
दिल में मगर...

क्या कहूँ, दुनिया ने किया
मुझसे कैसा बैर
हुकुम था, मैं जियूं
लेकिन तेरे बगैर
नादां हैं वो, कहते हैं जो
मेरे लिए तुम हो गैर
कितने सितम, हम पे सनम
लोगों ने किए
दिल में मगर...

कजरा मुहब्बत वाला - किस्मत (1968)

कजरा मुहब्बत वाला
अँखियों में ऐसा डाला
कजरे ने ले ली मेरी जान
हाय रे मैं तेरे क़ुरबान

दुनिया है मेरे पीछे
लेकिन मैं तेरे पीछे
अपना बना ले मेरी जान
हाय रे मैं तेरे क़ुरबान

आई हो कहाँ से गोरी आँखों में प्यार ले के
चढ़ती जवानी की ये पहली बहार ले के
दिल्ली शहर का सारा मीना बाज़ार ले के
झुमका बरेली वाला, कानों में ऐसा डाला
झुमके ने ले ली मेरी जान
हाय रे मैं तेरे...

मोटर न बंगला माँगूँ, झुमका न हार माँगूँ
दिल को जलाने वाले, दिल का क़रार माँगूँ
सैय्याँ बेदर्दी मेरे, थोड़ा सा प्यार माँगूँ
किस्मत बना दे मेरी, दुनिया बसा दे मेरी
कर ले सगाई मेरी जान
हाय रे मैं तेरे...

जब से है देखा तुझको, हो गए गुलाम तेरे
अपना बना ले गोरी, आएंगे काम तेरे
अपना ये जीवन सारा लिख देंगे नाम तेरे
कुर्ता ये जाली वाला, उसपर मोतियन की माला
कुर्ते ने ले ली मेरी जान
हाय रे मैं तेरे...

नैन से नैनों को मिला - तेरा चेहरा (2002)

नैन से नैनों को मिला
काहे को सताए है आ भी आ
नैन से नैनों को...

देख ना यूँ बेरुख़ी से
आज तो नज़र मिला दे
है क़सम तुझे दीवानी
प्यार का कोई सिला दे
जबसे तेरी आँखें झुकी हैं
तबसे मेरी साँसें रुकी हैं
चोरी-चोरी ख़्वाबों में आ भी जा
नैन से नैनों को...

कह रही है मेरी मोहब्बत
थोड़ा सा क़रार दे-दे
सिर्फ़ ये मेरी है चाहत
चैन मुझको यार दे-दे
हर धड़कन गाने लगी है
बन के नशा छाने लगी है
धीरे-धीरे बाँहों में आ भी जा
नैन से नैनों को...

आ लौट के आजा मेरे मीत - रानी रूपमती (1957)

आ लौट के आजा मेरे मीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं
मेरा सूना पड़ा रे संगीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

बरसे गगन मेरे, बरसे नयन
देखो तरसे है मन, अब तो आजा
शीतल पवन ये लगाये अगन
हो सजन अब तो मुखड़ा दिखा जा
तूने भली रे निभायी प्रीत
तुझे मेरे गीत...

इक पल है हँसना, इक पल है रोना
कैसा है जीवन का खेला
इक पल है मिलना, इक पल बिछुड़ना
दुनिया है दो दिन का मेला
ये घडी न जाए बीत
तुझे मेरे गीत...

तुम तो ठहरे परदेसी (1998)

तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे
सुबह पहली गाड़ी से, घर को लौट जाओगे
सुबह पहली गाड़ी से...

जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
(खिंचे खिंचे हुए रहते हो, ध्यान किसका है
ज़रा बताओ तो ये इम्तेहान किसका है
हमें भुला दो मगर ये तो याद ही होगा
नई सड़क पे पुराना मकान किसका है)
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
आँसुओं की बारिश में तुम भी भीग जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

ग़म की धूप में दिल की हसरतें न जल जाएं
(तुझको देखेंगे सितारे तो ज़िया मांगेंगे
और प्यासे तेरी जुल्फों से घटा मांगेंगे
अपने कांधे से दुपट्टा न सरकने देना
वरना बूढ़े भी जवानी की दुआ मांगेंगे (ईमान से))
ग़म की धूप में दिल की हसरतें न जल जाएं
गेसुओं के साए में कब हमें सुलाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
(इस शहर-ए-नामुराद की इज़्ज़त करेगा कौन
अरे हम भी चले गए तो मुहब्बत करेगा कौन
इस घर की देखभाल को वीरानियां तो हों
जाले हटा दिये तो हिफ़ाज़त करेगा कौन)
मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
मेरे बाद तुम किस पर ये बिजलियां गिराओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

यूं तो ज़िंदगी अपनी मैकदे में गुज़री है
(अश्क़ों में हुस्न-ओ-रंग समोता रहा हूँ मैं
आंचल किसी का थाम के रोता रहा हूँ मैं
निखरा है जा के अब कहीं चेहरा शऊर का
बरसों इसे शराब से धोता रहा हूँ मैं)
(बहकी हुई बहार ने पीना सिखा दिया
पीता हूँ इस गरज़ से के जीना है चार दिन
मरने के इंतज़ार ने पीना सीखा दिया)
यूं तो ज़िंदगी अपनी मैकदे में गुज़री है
इन नशीली आँखों से कब हमें पिलाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...

क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
जब तुम से इत्तेफ़ाकन मेरी नज़र मिली थी
अब याद आ रहा है, शायद वो जनवरी थी
तुम यूं मिलीं दुबारा, फिर माह-ए-फ़रवरी में
जैसे कि हमसफ़र हो, तुम राह-ए-ज़िंदगी में
कितना हसीं ज़माना, आया था मार्च लेकर
राह-ए-वफ़ा पे थीं तुम, वादों की टॉर्च लेकर
बाँधा जो अहद-ए-उल्फ़त अप्रैल चल रहा था
दुनिया बदल रही थी मौसम बदल रहा था
लेकिन मई जब आई, जलने लगा ज़माना
हर शख्स की ज़ुबां पर, था बस यही फ़साना
दुनिया के डर से तुमने, बदली थीं जब निगाहें
था जून का महीना, लब पे थीं गर्म आहें
जुलाई में जो तुमने, की बातचीत कुछ कम
थे आसमां पे बादल, और मेरी आँखें पुरनम
माह\-ए\-अगस्त में जब, बरसात हो रही थी
बस आँसुओं की बारिश, दिन रात हो रही थी
कुछ याद आ रहा है, वो माह था सितम्बर
भेजा था तुमने मुझको, तर्क़-ए-वफ़ा का लेटर
तुम गैर हो रही थीं, अक्टूबर आ गया था
दुनिया बदल चुकी थी, मौसम बदल चुका था
जब आ गया नवम्बर, ऐसी भी रात आई
मुझसे तुम्हें छुड़ाने, सजकर बारात आई
बेक़ैफ़ था दिसम्बर, जज़्बात मर चुके थे
मौसम था सर्द उसमें, अरमां बिखर चुके थे
लेकिन ये क्या बताऊं, अब हाल दूसरा है
अरे वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है
क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
थोड़ी देर रो लोगे और भूल जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी...
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