क्या यही प्यार है : रॉकी (1981)

क्या यही प्यार है
हाँ, यही प्यार है
दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं, वक्त गुज़रता नहीं
क्या यही प्यार है
हाँ, यही प्यार है

पहले मैं समझा, कुछ और वजह इन बातों की
लेकिन अब जाना, कहाँ नींद गई मेरी रातों की
जागती रहती हूँ मैं भी, चाँद निकलता नहीं
दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं
वक्त गुज़रता नहीं
क्या यही प्यार है...

कैसे भूलूँगी, तू याद हमेशा आएगा
तेरे जाने से, जीना मुश्किल हो जाएगा
अब कुछ भी हो दिल पे कोई, ज़ोर तो चलता नहीं
दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं
वक्त गुज़रता नहीं
क्या यही प्यार है...

जैसे फूलों के, मौसम में ये दिल खिलते हैं
प्रेमी, ऐसे ही क्या पतझड़ में भी मिलते हैं
रुत बदले, दुनिया बदले, प्यार बदलता नहीं
दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं
वक्त गुज़रता नहीं
क्या यही प्यार है...

ये जिस्म है तो क्या : जिस्म 2

ये जिस्म है तो क्या
ये रूह का लिबास है
ये दर्द है तो क्या
ये इश्क की तलाश है
फ़ना किया मुझे
ये चाहने की आस ने
तरह तरह
शिक़स्त ही हुआ

रज़ा है क्या तेरी
दिल-ओ-जहाँ तबाह किया
सज़ा भी क्या तेरी
वफ़ा को बेवफा किया
दुबारा ज़िन्दगी से यूँ मुझे जुदा किया
कहाँ-कहाँ फिरूँ मैं ढूंढता

वहाँ-जहाँ तू ही मेरा लिबास है
वहाँ-जहाँ तेरी ही बस तलाश है
वहाँ-जहाँ तुझी पे ख़तम आस है
वहीँ शुरू वहीँ पे दफ़न जान है
ये जिस्म है तो क्या...

इश्क भी किया रे मौला : जिस्म 2

इश्क भी किया रे मौला
दर्द भी दिया रे मौला
यूँ तो खुश रहा मगर
कुछ रह गया बाकी
फक्र भी किया है मौला
इल्म भी लिया रे मौला
ज़िन्दगी जिया मगर
कुछ रह गया बाकी

तू नहीं दिखा रे मौला
सब नहीं बिका रे मौला
और जहाँ रुका वहाँ पे
जाम है खाली

चाह की कमी में तू है
आँख की नमी में तू है
आंसूं में तू प्यास में तू
सांस में तू
बेवजह हंसी में तू है
जो दिखे उसी में तू है
अश्क में तू, रश्क में तू
जान में तू
इश्क भी किया...

ज़ीस्त की सच्चाईयों से
रूह की गहराईयों से
रात की तन्हाइयों से
तू गुज़र ज़रा...

चल चलें अपने घर : वो लम्हें

चल चलें अपने घर
ऐ मेरे हमसफ़र
बंद दरवाज़े कर
सबसे हो बेख़बर
प्यार दोनों करें
रात भर टूटकर
चल चलें...

ना जहाँ भीड़ हो, ना जहां भर के लोग
ना शहर में बसे, लाखों लोगों का शोर
चंद लम्हें तू इनसे मुझे दूर कर
चल चलें...

दूरियाँ दे मिटा, जो भी है दरमियाँ
आज कुछ ऐसे मिल, एक हो जाए जाँ
भर मुझे बाहों में, ले डूबा चाह में
प्यार कर तू बेपनाह
ख़तम बेचैन रातों के हो सिलसिले
यूँ लगा ले मुझे आज अपने गले
खोल हर बंदिशें, आज मुझमें उतर
चल चलें...

आँखों ही आँखों में करे बातें : बर्फी

आँखों ही आँखों में करे बातें
गुपचुप गुपचुप गुपचुप होए
फुस फुस फुस फुस
ख़्वाबों की नदी में खाए गोते

आला आला मतवाला बर्फी
पाँव पड़ा मोटा छाला बर्फी
रातों का है ये उजाला बर्फी
गुमसुम गुमसुम ही मचाये ये तो उत्पात
खुराफाती करे नॉन-स्टॉप
मौला इसी से बचाई ले
कभी न रुकता रे, कभी न थमता रे
रंग जो दिखा उसे खुशियों की ठोकर मारे
पलकों की हरमुनिया, नैनों की ग रे स रे

धड़कन की रिदम पे ये गाता जाए गाने प्यारे
भोला न समझो ये चालू खिलाडी है बड़ा
सूरज ये बुझा देगा, मारेगा फूँक ऐसी
चौक तलैय्या पीपल छैय्या
हर कूचे की ऐसी तैसी
आँखों ही आँखों में करे बातें
गुपचुप गुपचुप...

बर्फी जो अम्मा जी की कोख में था सोया
अम्मा ने मर्फी का रेडियो मंगाया
मर्फी मुन्ना, जैसा लल्ला
अम्मा का था सपना
मुन्ना जब हौले-हौले दुनिया में आया
बाबा ने सीलोन वाला स्टेशन लगाया
रेडियो ऑन हुआ, अम्मा ऑफ हुई
टूटा हर सपना
मुन्ना म्यूट ही आसूं बहाए
मुन्ना झुनझुना सुन भी न पाए
आला आला मतवाला बर्फी

फिर ले आया दिल मजबूर : बर्फी

फिर ले आया दिल मजबूर
क्या कीजे
रास न आया रहना दूर
क्या कीजे
दिल कह रहा उसे मुकम्मल कर भी आओ
वो जो अधूरी सी बात बाकी है
वो जो अधूरी सी याद बाकी है

करते हैं हम आज कुबूल
क्या कीजे
हो गयी थी जो हमसे भूल
क्या कीजे
दिल कह रहा उसे मयस्सर कर भी आओ
वो जो दबी सी आस बाकी है
वो जो दबी सी आंच बाकी है

किस्मत को है ये मंज़ूर
क्या कीजे
मिलते रहे हम बादस्तूर
क्या कीजे
दिल कह रहा है उसे मुसलसल कर भी आओ
वो जो रुकी सी राह बाकी है
वो जो रुकी सी चाह बाकी है

इत्ती सी हंसी : बर्फी

इत्ती सी हंसी
इत्ती सी ख़ुशी
इत्ता सा टुकड़ा चाँद का
ख़्वाबों के, तिनकों से
चल बनाएँ आशियाँ

दबे दबे पाँव से
आये हौले हौले ज़िन्दगी
होंठों पे ऊँगली चढ़ा के
हम ताले लगा के चल
गुमसुम तराने चुपके-चुपके गायें
आधी-आधी बाँट लें
आजा दिल की ये ज़मीं
थोड़ा सा तेरा सा होगा
थोड़ा मेरा भी होगा
अपना ये आशियाँ

ना हो चार दीवारें
फिर भी झरोखें खुले
बादलों के हो परदे
शाखें हरी, पंखा चले
ना हो कोई तकरारें
अरे मस्ती, ठहाके चले
प्यार के सिक्कों से
महीने का खर्चा चले
दबे दबे पाँव से...

सांवली सी रात : बर्फी

सांवली सी रात हो, ख़ामोशी का साथ हो
बिन कहे, बिन सुने, बात हो तेरी मेरी
नींद जब हो लापता, उदासियाँ ज़रा हटा
ख़्वाबों की रज़ाई में, रात हो तेरी मेरी

झिलमिल तारों सी आँखें तेरी
खारे खारे पानी की झीलें भरे
हरदम यूँ ही तू हंसती रहे
हर पल है दिल में ख्वाहिशें
ख़ामोशी की लोरियां सुन तो रात सो गयी
बिन कहे, बिन सुने...

बर्फी के टुकड़े सा, चंदा देखो आधा है
धीरे धीरे चखना ज़रा
हंसने रुलाने का, आधा-पौना वादा है
कनखी से तकना ज़रा
ये जो लम्हें हैं, लम्हों की बहती नदी में
हाँ भीग लूं, हाँ भीग लूं
ये जो आँखें हैं, आँखों की गुमसुम जुबां को
मैं सीख लूं, हाँ सीख लूं
अनकही सी गुफ्तगू, अनसुनी सी जुस्तजू
बिन कहे, बिन सुने...

दिल ये मेरा, बस में नहीं : बर्फी

दिल ये मेरा, बस में नहीं
पहले कभी ऐसा होता था नहीं
तू ही बता इस दिल का मैं
अब क्या करूँ
कहने पे, चलता नहीं
कुछ दिनों से, मेरी भी सुनता नहीं
तू ही बता इस दिल का मैं
उफ्फ अब मैं क्या करूँ

करता आवारगी
इसपे तो धुन चढ़ी, है प्यार की
जाने गुम है कहाँ
बातों में है पड़ा, बेकार की
उलटी ये बात है
ऐसे हालात है
गलती करे ये, मैं भरूँ
उफ़ दिल का क्या करूँ
मैं क्या करूँ...

दिल पे मेरा काबू नहीं
फितरत कभी इसकी ऐसी थी नहीं
तू ही बता...

क्यूँ, न हम-तुम : बर्फी

क्यूँ, न हम-तुम
चले टेढ़े-मेढ़े से रास्तों पे नंगे पाँव रे
चल, भटक ले ना बावरे
क्यूँ, न हम तुम
फिरे जाके अलमस्त पहचानी राहों के परे
चल, भटक ले ना बावरे
इन टिमटिमाती निगाहों में
इन चमचमाती अदाओं में
लुके हुए, छुपे हुए
है क्या ख़याल बावरे

क्यूँ, न हम तुम
चले ज़िन्दगी के नशे में ही धुत सरफिरे
चल, भटक ले ना बावरे

क्यूँ, न हम तुम
तलाशें बगीचों में फुरसत भरी छाँव में
चल भटक ले ना बावरे
इन गुनगुनाती फिजाओं में
इन सरसराती हवाओं में
टुकुर-टुकुर यूँ देखे क्या
क्या तेरा हाल बावरे

ना लफ्ज़ खर्च करना तुम
ना लफ्ज़ खर्च हम करेंगे
नज़र के कंकड़ों से
खामोशियों की खिड़कियाँ यूँ तोड़ेंगे
मिला के मस्त बात फिर करेंगे
ना हर्फ़ खर्च करना तुम
ना हर्फ़ खर्च हम करेंगे
नज़र की सियाही से लिखेंगे
तुझे हज़ार चिट्ठियाँ ख़ामोशी झिडकियां
तेरे पते पे भेज देंगे

सुन, खनखनाती है ज़िन्दगी
ले, हमें बुलाती है ज़िन्दगी
जो करना है वो आज कर
ना इसको टाल बावरे
क्यूँ, न हम तुम...

कभी ऐसा लगता है, दिल में एक राज़ है : कभी ऐसा लगता है (2004)

कभी ऐसा लगता है, दिल में एक राज़ है
जिसे कहना चाहूँ, पर मैं कह पाऊँ ना
आँखों ही आँखों में कह जाती है जो ये
खामोशियों की ये कैसी ज़ुबां
मैंने सुना जो ना उसने कहा
क्या ऐसा ही होता है प्यार
मेरे खुदा मुझे इतना बता
क्या ऐसा ही होता है प्यार

कभी ऐसा लगता है, अनजानी प्यास है
पर सिमटी होठों में वो रह पाए ना
कैसा एहसास है, कोई तो पास है
ये दूरियां हैं फिर कैसी यहाँ
महकी लगे क्यों सारी फिज़ा
क्या ऐसा ही होता है...

ये सच है चाहत पे कभी, किसी का भी ज़ोर नहीं
दिलबर की यादों को बांधे, ऐसी कोई डोर नहीं
सब कुछ वही पर लगता नहीं
क्या ऐसा ही होता है...

इक पल जो मिल जाए दिल को, चला जाए दूर कहीं
दुनिया में इस दिल के जैसा, कोई मजबूर नहीं
मैंने सुना प्यार करता जहां
प्यार ऐसा भी होता है...

जाने क्या ढूँढता है ये मेरा दिल : अक्स

जाने क्या ढूँढता है ये मेरा दिल
तुझको क्या चाहिए ज़िन्दगी
रास्ते ही रास्ते हैं, कैसा है ये सफ़र
ढूँढती हैं जिसको नज़रें, जाने है वो किधर
जाने क्या ढूँढता है...

बेचेहरा सा कोई, सपना है वो
कहीं नहीं है फिर भी, अपना है वो
ऐसे मेरे अन्दर शामिल है वो
मैं हूँ बहता दरिया, साहिल है वो
है कहाँ वो, वो किधर है, रास्ते कुछ तो बता
कौन सा उसका नगर है, रहगुज़र कुछ तो बता
ढूँढती हैं जिसको नज़रें, जाने है वो किधर
जाने क्या ढूँढता है...

सूना सा है मंदिर, मूरत नहीं
खाली है आईना, सूरत नहीं
जीने का जीवन में, कारण तो हो
महके कैसे कलियाँ, गुलशन तो हो
शम्मा है जो मुझमें रौशन, वो विरासत किसको दूं
दूर तक कोई नहीं है, अपनी चाहत किसको दूं
ढूँढती हैं जिसको नज़रें, जाने है वो किधर
जाने क्या ढूँढता है...

गोरी तेरी आँखें कहें, रात भर सोयी नहीं : गोरी तेरी आँखें

गोरी तेरी आँखें कहें, रात भर सोयी नहीं
चंदा देखे चुपके कहीं, और तारे जानते हैं सभी
के किसने दिल ले लिया, किसको दिल दे दिया
ये दिल का लगाना कोई जानता नहीं
गोरी तेरी आँखें...

दिल में तेरी याद बसी तू समझेगा नहीं
जो है मेरे पास है तेरा, मेरा कुछ नहीं
क्यूँ अंखियाँ छुपाऊँ, क्यूँ तुझको सताऊँ
दिल तोड़ के तेरा मैं क्या पाऊं
बोल पिया बोल पिया बोल...

साजन तेरी बातें बड़ी, के मैं रात भर सोयी नहीं
चंदा ने भी देखा नहीं, और तारों को ये मालूम नहीं
कि मैंने तुझे दिल दिया, तेरा दिल ले लिया
मेरा तू ही है बहाना, क्यूँ मानता नहीं
साजन तेरी बातें बड़ी...

आते जाते मौसम जैसे लगते थे सभी
हमने भी तो माँगा रब से अपना भी कोई
दुनिया से बचाऊँ, पलकों में छुपाऊं
दिल जीत के तेरा सबको बताऊँ
सुन गोरी...
गोरी तेरी आँखें...

शाम सवेरे तेरी यादें आती हैं : सुनो (1996)

शाम सवेरे तेरी यादें आती हैं
आके दिल को मेरे यूँ तड़पाती हैं
ओ सनम मोहब्बत की कसम
मिलके बिछड़ना तो दस्तूर हो गया
यादों में तेरी मैं जो दूर हो गया
ओ सनम तेरी यादों की कसम

समझे ज़माना के दिल है खिलौना
जाना है अब क्या है दिल का लगाना
नज़रों से ना यूँ हमको गिराना
मर भी गए तो भूल न जाना
आँखों में बसी हो पर दूर हो कहीं
दिल के करीब हो ये मुझको है यकीं
ओ सनम तेरे प्यार की कसम

ये हलकट जवानी : हीरोइन


आजा..आजा..आजा..आ  आजा

आजा  ज़रा सरक ले
गिर  ले  ज़रा  बहक ले
साइया ज़रा छलक ले , हाए
आके  मोह  से  लिपट  ले
टेढ़ा  जहर  है  ये  इस  से  ना कर छेडखानि
लाइफ  की  नोटी  कहानी
ये हलकट जवानी
ये हलकट जवानी....
मीठा ये नमकीन पानी
ये हलकट जवानी
ये हलकट जवानी
लाइफ की नोटी कहानी
ये हलकट जवानी
ये हलकट जवानी ...

ता  तान  तान  ता ना ना रे ता  ता ...
आ  आ , छोरों की  नीयत हलाल करे  आह

अरे ! बस्ती में डेलि बवाल करे ...
हाए..छोरों  की नीयत हलाल  करे
बस्ती में डेलि बवाल करे
आइटम बना के रख ले, हाय
चखना बना के चख ले
आँखों को क्यूँ सेके
हाथों से कर मनमानी

लाइफ की नोटी कहानी
ये हलकट  जवानी
ये हलकट जवानी...
मीठा ये नमकीन पानी
ये  हलकट जवानी
ये हलकट जवानी
आए हाए ओए होइए
जवानी  ये  हलकट जवानी हाए ..



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