वाला सी चलती है आँखों में जिसके भी
दिल में तेरा नाम है
परवाह ही क्या उसका आरम्भ कैसा है और कैसा परिणाम है
धरती अम्बर सितार है
उस्सकी नज़ारे उतारे
डर भी उस से डरा रे
जिसकी रख्वालिया रे
करता साया तेरा
देवा श्री गणेशा .. दिल में तेरा नाम है
परवाह ही क्या उसका आरम्भ कैसा है और कैसा परिणाम है
धरती अम्बर सितार है
उस्सकी नज़ारे उतारे
डर भी उस से डरा रे
जिसकी रख्वालिया रे
करता साया तेरा
हो तेरी भक्ति का वरदान है
जो कमाए वोह धनवान है
बिन किनारे की कश्ती है वोह
देवा तुझसे जो अनजान है
यूँ तो मूषक सवारी तेरी
सब पे है पहेरेदारी तेरी
पाप की आंधियां न कहा
कभी ज्योति न हारी तेरी
अपनी तकदीर का वोह , खुद सिकंदर हुआ रे
भूल के यह जहां रे , किसकी सिलिएँ या हारे
साथ पाया तेरा हे
देवा श्री गणेशा ..
हो तेरी धूलि का टीका किये
देवा जो भक्त तेरा जिए
उससे अमृत का है मोह है क्या
हस के विष का वोह प्याला पिए
तेरी महिमा के छाया तले
काल के रथ का पहिया चले
एक चिंगारी पक्षोध से
कड़ी रावन की लंका जले
शत्रुओं की कतारे, इक अकेले से हारे
कण भी परभात हुआ रे , शरोक बन के जहां रे
नाम आया तेरा हे
देवा श्री गणेशा ..
गणपति बाप्पा मोरेया
हरे रामहरे राम , राम राम हरे हरे ..
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